गुंडागर्दी से समाज मे आतंक का खेल खेलने वाले ही हर एनकाउंटर पर सवाल खड़ा करना चाहते है, ताकि पुलिस के हौसले को तोड़ा जा सके। इन पर बहुत ध्यान देने की जरूरत नही है। हालांकि अधिकतर एनकाउंटर मानवाधिकार और संविधान के मौलिक अधिकारों को कुचल कर ही किये जाते हैं, मग़र क्या इसमे मारे गए ज्यादातर लोग वास्तव में मानव होते हैं? साहब! कानून का डर कानूनी हो या गैर कानूनी, समाज की गंदगी साफ होनी ही चाहिए।संविधान रखिये, निम्न, उच्च और सर्वोच्च न्यालय का विकल्प भी रखिये मग़र समाज मे आतंक को संविधान के पीछे छिपने की जगह नही मिलनी चाहिए।
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