इतना चुभने लगा हूँ अपनो को, मैं कोई छुरा तो नही हूँ।
तुम जितना बताते हो मेरे बारे में, उतना बुरा तो नही हूँ।
मत जल तू मेरी खुशी से, मेरी आदत ही है मुस्कुराने की।
सधे अंदाज में लड़खड़ाने की, यूँ हसीं में दर्द छिपाने की।
मेरे आँशुओ में अगर सकून छिपा है तेरा, तो मैं रो लूँगा।
जिस चौखट पर पड़े है कदम मेरे, वो निशां भी धो दूँगा।
तू बस खुश रह अपने शहर में, मुझे जाने का मलाल नही।
भटकना तो शौक है मेरा,तुझसे नाराजगी का सवाल नही। -आनंद

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