दूरदर्शन के लोगो (पहचान चित्र) मे एक पंक्ति थी ‘सत्यम शिवम सुन्दरम” ये पंक्ति कब हट गई? किसने हटाया? इसके हटने से किस समाज की हानि हुई और किसका भला? समाज मे कितनी एकता और सम्पूर्णता आयी? ये ऐसे सवाल है जिसका उत्तर किसी के पास नही है और उससे भी बड़ी सच्चाई यह है कि कोई जानना भी नही चाहता? फिर कोई जाने भी क्यो? इससे रोटी मिलेगी? रोजगार मिलेगा? नही… न रोटी मिलेगी न रोजगार मिलेगा। बस कुछ मन कुंठित हो जायेगे। ‘कुंठित मन कभी अपने हृदय की बात नही कह पाता। उसकी उत्त्पति का न कोई आधार होता है न मृत्यु का कोई शोक। उसे न अपनी स्वतंत्रता पर गौरव होता है न अधीनता का दुख। वास्तव में वह किसी पशु की भांति व्यवहार करता है।’ इस पहचान चित्र में से उस पंक्ति के हटाने के पीछे बस इतनी सी बात है – आपको कुंठित करना! मुझे उनसे कोई शिकायत नही है जो खुद को मुझसे ज्यादा पढ़ा लिखा या बद्धिमान समझते है। वो समझे और वास्तव में यह उनका अपना निजी अधिकार है जैसे कि सोये हुए लोगो को हर रोज झकझोरना और उन्हें जगाने की असफल कोशिश करना मेरा निजी अधिकार है। केंद्रीय स्कूल के लोगो (पहचान चित्र) मे एक पंक्ति है ‘तमसो मा ज्योंतिर्गमय’ जिसका अर्थ होता है “अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना।” इस वाक्य में ऐसा क्या है जिस पर कुछ लोगो को आपत्ति है? मुझे तो सब कुछ ठीक ही लगता है… रोटी और रोजगार की लड़ाई लड़ने वालों आपको कुछ अनुचित लगता है क्या? ध्यान देने वाली बात है कि पहचान चित्र से इस पंक्ति को हटवाने के लिए कुछ लोग उच्चतम न्यायालय तक पहुँच गये है। यद्यपि बात बात पर रोजगार और रोटी खोजने वाले लोग पुनः कह सकते हैं कि -“क्या फर्क पड़ता है यदि इसे कुछ लोग हटावाना भी चाहते हैं?” सही भी है क्या प्रभाव पड़ता है यदि इस पंक्ति को पहचान चित्र से हटा दिया जाए? यह पंक्ति न रोटी देती है न रोज़गार! किन्तु असमंजस वाली बात है न कि जब यह पंक्ति आपके जीवन पर कोई प्रभाव नही डालती फिर वह कौन लोग है जो उच्चतम न्यायालय में इसे हटवाने के लिए अपना धन और समय दोनों व्यर्थ में गवां रहे हैं? वास्तव क्या आप जानना चाहेंगे कि ये कौन लोग हैं? तो सुनिए… ये वही लोग है जो आपको दिन रात समझाते है कि ‘सत्यम शिवम सुन्दरम’ आपको रोटी नही देगा? ये वो लोग भी हैं जो आपको बताते है कि राम मंदिर बन भी गया तो आपको क्या मिलेगा? ये वो लोग भी है जो आपको दिवाली पर पटाख़े फोड़ने पर रोकते हैं किंतु खुद नए वर्ष के आगमन और बड़े बड़े समारोहों की शुरुवात अतिशबाजी से करतें है। ये वो लोग भी है जिनकी भावनाये कच्ची मिट्टी से बनी है जिसको टूटने से बचाने के लिए रातो रात सरकारें दूरदर्शन के लोगो से सत्यम शिवम सुन्दरम हटा देती है और आप ‘इससे क्या फर्क पड़ता है?’ कहने वाले कुंठा से भरे हुए वे लोग है जिनकी संस्कृति को आहिस्ता आहिस्ता मिटाया जा रहा है और उत्पत्ति को आधारहीन बनाया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप मौत स्वयं ही शोकरहित हो जाएगी। वास्तव में वह कौन लोग है उन्हें समय निर्धारित करेगा किन्तु आप वह लोग है जिनकी भविष्य में अपनी कोई पहचान नही होगी। वास्तव में आप वैज्ञानिक तौर पर एक जानवर होगें जो रोटी और रोजगार की व्यवस्था में अपनी अंतिम सांस तक जुटा रहेगा।
दूरदर्शन की टैगलाइन सत्यम शिवम सुन्दरम हटाने से आप क्या फर्क पड़ता है?
Please follow and like us: