मेरे पास ताकत है मैं आपके घर पर कब्जा कर लूं और आप कोर्ट चले जाओ। फिर पड़ोसी बोले कि चलो तुम दोनों के झगड़े का सद्भावना पूर्ण हल मैं बताता हूँ, और वह कहे कि इस जगह को न वह ले जिसका पहले वह घर था और न वह ले जिसने उस पर कब्जा किया था बल्कि इसे किसी तीसरे को दे दिया जाए जिस पर वह हॉस्पिटल बना दे। आप दोनों को कैसा लगेगा? खास कर उसको जिसका वह कभी घर था। क्या वह नही चाहेगा कि हॉस्पिटल बनाने की सलाह देने वाले का मुँह तोड़ दे।
राम जन्मभूमि में हॉस्पिटल बनाने का ख्वाब देखने वालों का हाल भी वही है और वास्तव में इनका मुंह तोड़ देना चाहिए। ये वह घटिया लोग हैं जिन्हें जन्मस्थान और जंगल की जमीन के बीच का अंतर तक समझ नही आता। जो नही जानते कि नाले और नदी के पानी मे क्या फर्क है? मुँह खोलते हैं तो मुँह की गंदगी निकालने के लिए। इनका तर्क है कि हिन्दू मुस्लिम झगड़े को खत्म करने का ये बेहतर उपाय है। क्या सच मे?अगर वह जगह मुस्लिमो की भावनाओ का गर्भगृह है तो बेशक उन्हें मिलना चाहिए और अगर हिन्दुओ का है तो उन्हें। इसका तीसरा रास्ता निकालना दोनों की भावनाओ के साथ अन्याय है।इनका अगला तर्क होता है कि मंदिर या मस्जिद से किसे क्या मिलेगा? जबकि हॉस्पिटल से तो लोगो का फायदा होगा।
इनका पहला सवाल एक बार फिर इनके मानसिक दिवालियापन को प्रमाणित करता है जबकि दूसरा विचार हद तक उचित है। हॉस्पिटल से लोगो का फायदा होगा लेकिन सवाल ये भी तो है कि हॉस्पिटल कही बाहर बना लो, वही क्यो बनाना?एक ब्रांड को बनाने के लिए आपको पता है कितना संघर्ष करना पड़ता है? वर्षो अपने प्रोडक्ट को बेहतर क्वालिटी के साथ सस्ते दामो में बाजार में उतारना पड़ता है। कई बार तो घाटे में भी, ताकि लोग उस पर भरोषा करना सीख जाए। राम जन्मभूमि एक ऐसा बना बनाया ब्रांड है उसे कैसे गर्त में गाड़ दें? उस स्थान से करोड़ों लोगों की अस्था जुड़ी हुई है। जैसे ननकाना साहब से सिखों की और मक्का से मुस्लिमो की। लोग वहां किसी भी कीमत पर जाना चाहते है जिसके परिणाम स्वरूप लाखों रोज़गार का सृजन होता है।
एक ननकाना साहब, एक मक्का और एक काशी और अब एक अयोध्या से करोड़ो घरों में रोजगार पहुँचता है, रसोईयों मे रोटियों की सोंधी खुशबू तैरती है, भूखे पेट को भोजन मिलता है। सरकारे अरबो रुपये खर्च करती है एक टूरिस्ट साइट को बनाने के लिए। जिससे उसके आस पास के लोगो को रोजगार मिल सके। सरदार पटेल की मूर्ति ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ उन्ही में से एक है जिसने इस वर्ष ताजमहल से भी ज्यादा कमाई (64 करोड़) की है। साथ ही लाखो लोगो को रोजगार मुहैय्या कराया है। मारिसस, मलेशिया, थाईलैंड जैसे तमाम देशों की तो पूरी अर्थव्यवस्था टूरिस्ट साइट पर निर्भर है ।मानसिक रोगियों! अब समझ मे आया मंदिर से क्या मिलेगा?