Shayri मेरी मुहब्बत का सफ़र भी अज़ीब था. कभी ये करीब था कभी वो क़रीब था. डूबा रहा जिश्म मे मगर रुह न मिलीं,ये थी खुशनसीबी या मै बदनशीब था. ************************************************** और पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें